तमगों की तमन्ना , नहीं रखता कभी फ़ौजी। फ़ौजी के जहन में, कभी सियासत नहीं होती।। तमगों की तमन्ना , नहीं रखता कभी फ़ौजी। फ़ौजी के जहन में, कभी सियासत नहीं होती।।
और मैं, स्वयं समर्पित हो जाती हूँ तुम पर, तुम्हारे जन्मदिन पर। और मैं, स्वयं समर्पित हो जाती हूँ तुम पर, तुम्हारे जन्मदिन पर।
पंक्षी बन ये मन उड़ता जब क्यों न चहकते गीत मेरे ! पंक्षी बन ये मन उड़ता जब क्यों न चहकते गीत मेरे !
मुझ में और मेरी चाहत में काफी फासले हैं। मानो में जमी हूँ तो मेरी चाहत आसमां है।। मुझ में और मेरी चाहत में काफी फासले हैं। मानो में जमी हूँ तो मेरी चाहत आसमां ...
वह कौन हैं जिसेे न देखनेे के बाद भी महसूूूस करता हूं. वह कौन हैं जिसेे न देखनेे के बाद भी महसूूूस करता हूं.
परे हो तुम फिर भी सामने हो. परे हो तुम फिर भी सामने हो.